Jammu Kashmir Land Law: जानिए अब कैसे खरीद पाएंगे जम्मू कश्मीर में जमीन

जम्मू कश्मीर जैसी खूबसूरत जगह पर एक बार घूमने और कुछ दिन गुजारने का सपना हर भारतीय के दिलों में होता है …. लेकिन अब … न सिर्फ आप वहां घूम सकते हैं बल्कि जमीन खरीदने या घर बनाने का सपना देख रहे हैं, तो अब आपका यह सपना भी पूरा हो सकता है. केंद्र सरकार ने हाल ही में जम्मू कश्मीर में भूमि खरीद- बिक्री के कानून (Jammu Kashmir Land Law) में बड़ा बदलाव किया है.

ये बदलाव किये जाने के बाद देश के किसी भी नागरिक को जम्मू कश्मीर में जमीन खरीदने और घर बनाने का अधिकार मिल गया है. नए भूमि कानून के तहत अब कोई भी भारतीय नागरिक जम्मू-कश्मीर में फैक्ट्री, घर या दुकान के लिए जमीन खरीद सकता है. इसके लिए उसे किसी भी तरह के स्थानीय निवासी होने का सबूत देने की जरूरत नहीं होगी.

गृह मंत्रालय ने किया नया आदेश जारी

गृह मंत्रालय ने हाल ही में जारी अपनी विज्ञप्ति में कहा कि इस आदेश को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (केंद्रीय कानूनों का अनुकूलन) तीसरा आदेश, 2020 कहा जाएगा. यह आदेश  विज्ञप्ति आने के बाद तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है. आदेश में कहा गया है कि सामान्य आदेश अधिनियम, 1897 इस आदेश की व्याख्या के लिए लागू होता है क्योंकि यह भारत के क्षेत्र में लागू कानूनों की व्याख्या के लिए है.

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का कहना है, ‘हम चाहते हैं कि बाहर के उद्योग जम्मू-कश्मीर में स्थापित हों, इसलिए औद्योगिक भूमि में निवेश की जरूरत है. लेकिन खेती की जमीन सिर्फ राज्य के लोगों पास ही रहेगी.

आइये जानते हैं कि ये व्यवस्था पहले वहां क्यों नहीं थी

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 A हटाये जाने के बाद ये संभव हो सका है. केंद्र सरकार ने पिछले साल जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया था। इसके बाद 31 अक्तूबर 2019 को जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश ban गया था. इसके केंद्र शासित प्रदेश बनने के एक साल बाद जमीन के कानून में बदलाव किया गया है।

धारा 370 थी क्या

दरअसल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष स्वायत्तता मिली थी. वहीं, 35A जम्मू-कश्मीर राज्य विधानमंडल को ‘स्थायी निवासी’ परिभाषित करने और उन नागरिकों को विशेषाधिकार प्रदान करने का अधिकार देता था. यह भारतीय संविधान में जम्मू-कश्मीर सरकार की सहमति से राष्ट्रपति के आदेश पर जोड़ा गया.

अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार था, लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार की मंजूरी चाहिए होती थी. इसी विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती थी. राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं था. 1976 का शहरी भूमि कानून राज्य पर लागू नहीं होता था.

35A के बारे में जानिये

वहीं 35A से जम्मू-कश्मीर के लिए स्थायी नागरिकता के नियम और नागरिकों के अधिकार तय होते थे. 14 मई 1954 के पहले जो कश्मीर में बस गए थे, उन्हीं को स्थायी निवासी माना जाता था. जो जम्मू-कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं था, राज्य में संपत्ति नहीं खरीद सकता था. सरकार की नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर सकता था. वहां के विश्विद्यालयों में दाखिला नहीं ले सकता था, न ही राज्य सरकार की कोई वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकता था.

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गृह मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक लद्दाख में अभी ये कानून (Jammu Kashmir Land Law) लागू नहीं किया गया है. इसकी वजह है, लद्दाख के नता और सरकार के बीच हुई बातचीत. इस दौरान LAC पर भारत-चीन टकराव को देखते हुए अनुच्छेद 371 या छठी अनुसूची की मांग की गई. अनुच्छेद 371 में छह पूर्वोत्तर राज्यों सहित कुल 11 राज्यों के लिए विशेष प्रावधान हैं, ताकि उनकी सांस्कृतिक पहचान और आर्थिक हितों की रक्षा की जा सके. लद्दाखी नेताओं ने केंद्र सरकार के साथ हुई बातचीत में कहा है कि उनकी 90 प्रतिशत आबादी आदिवासी है इसलिए उनके अधिकारों की रक्षा करनी होगी. हालाँकि जम्मू और कश्मीर के क्षेत्रीय राजनितिक दाल और विपक्ष के कई मुख्य राजननीतिक दाल सरकार के भूमि कानून का विरोध भी कर रहे हैं.

किन राज्यों में है स्पेशल भूमि कानून

इसी तरह के प्रावधान हिमाचल प्रदेश, नगालैंड , असम, मणिपुर, सिक्किम, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक , उत्तराखंड, तमिलनाडु, ladakh जैसे राज्यों में पहले से लागू हैं. इन राज्यों में अन्य राज्यों के लोगों द्वारा जमीन खरीदने पर प्रतिबंध हैं.