वर्ष 2020 अन्य बहुत से लोगों की तरह मेरे लिए भी बहुत अच्छा नहीं रहा। यद्यपि साल के शुरू में काफी अच्छा रहा। 2020 के एक संकल्प के अनुसार पुस्तक प्रकाशन की दिशा में एक पुस्तक ‘संविधान के सामाजिक अन्याय खण्ड-4 (याचिका) फरवरी, 2020 में प्रकाशित करने में सफल रहा। लेकिन दिल्ली दंगों और तदुपरान्त कोरोना के लॉकडाउन के चलते आगे कुछ न कर सका। 2020 मैंने आंदोलन के अपने चार महत्वपूर्ण साथी सदा के लिए खो दिये।
साल 2020 इतिहास में एक असामान्य काल के रूप में जाना जाएगा। समस्त विश्व कोरोना से त्रस्त रहा और दुनियां की हर व्यवस्था चरमरा गई, सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक। इधर देश की वर्तमान निज़ाम के ‘आपदा को अवसर में बदलने’ के इरादे-नारे ने जहां अडानी-अम्बानि(यों) के खज़ानों में अकूत दौलत की वृद्धि का रास्ता प्रशस्त किया तो उधर लाखों-करोड़ों लोग तड़फते-मरते रहे। देश ने एनआरसी और सीएए जैसे देश को बांटने वाले कानूनों का सामना व उसका विरोध किया तथा उस विरोध को निरंकुशता से दबाये जाते हुए भी देखा।
Corona Effect: अपना कहने के लिए कुछ कम ही रहता है
2020 जहां अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प जैसे दम्भी राष्ट्रपति को सत्ता से बाहर करने में लोग सफल रहे। वहीं पर भारत जैसे लोकतन्त्र में भी मोदी भाजपा के शासन को देश के किसानो ने किसान आंदोलन के रूप में चुनौती दी, जो आज 2020 के समाप्ती तक भी जारी है।
वर्ष 2021 के लिए संकल्प लिया है कि 2020 के संकल्प के अधूरे कार्यों को पूरा करने के अतिरिक्त देश के किसान आंदोलन जैसे शोषण व अन्याय के विरुद्ध उठने वाली हर आवाज़ का साथ दूंगा। पिछले साल के अधूरे कार्यों में पुस्तक प्रकाशन की प्राथमिकता सर्वोपरि रहेगी। वर्ष 2020 से कठिन समय को साहसपूर्वक काटने के लिए सबको बधाई और नव वर्ष 2021 (New Year 2021) के लिए शुभ कामनाएं।