हिन्दी में सम्बन्धों के लिए प्रयुक्त सम्बोधन शब्दों के लाहौल स्पिती (Lahaul Spiti) की भाषा/बोलियों की प्रचलित समानार्थक शब्दावली की अनुसूची:

 

विशेष: 1 यह नोट मेरी प्रकाशनाधीन पुस्तक लाहौल-स्पिती एक अबूझ ठार खंड-1 में से लिया गया है।

2 लाहौल-स्पिती की नौ भाषा/बोलियों को दिये गए नामों से अधिकतर समझने/बोलने वाले सन्तुष्ट व सहमत नहीं हैं।

3 सब भाषा/बोलियों को बाहर के विद्वानों द्वारा भाषा नामकरण की अलग-2 सिद्धान्त और पेटर्न के अनुसार नाम दिये गए हैं। जैसे मां-पिता के उपस्थिति के बिना पंडित जी द्वारा बच्चे का नामकरण।  

4 उनमें सिर्फ चिनलभाशे एकमात्र भाषा/बोली है जिसे विद्वानों ने चिनाली नाम दिया था, को नवीनतम भाषा सर्वेक्षण में ठीक से रिकार्ड करवाया गया है। इस के बोलने वाले इसे इसी नाम से जानते, समझते और मानते हैं।

5 इन क्षेत्रों विशेषकर लाहौल में भाषा/बोलियों का आधार क्षेत्रीय या प्रजातीय न हो कर जातीय है।

6 चिनलभाशे, ल्वहरभाशे तथा पंगवाली संस्कृत परिवार और अन्य भाषा/बोलियां भोटी परिवार की हैं।

7 पंगवाली सिर्फ एक गांव, तिन्दी में ही समझी/बोली जाती है।

8 बोदभाशे व स्वङ्भाशे, जिन्हें एक समूह में ग्रियर्सन ने मनचढ़ तथा अजय ने पट्टनी कहा है।

9 तिननकद गौंधला घाटी के दालंग से रङ्लो के कोकसर तक, जिसे तिननी कहा जाता है, एरङ्कद केलाङ्ग की गाहरी, स्तोदकद स्तोद घाटी की स्तोद और पितिकद स्पिती के नाम से स्पिती में समझी/बोली जाती हैं।

10 हिन्दी भाषा के सिर्फ 48 सम्बन्ध नामों को ही लिया जा सका है।

11 इनमें सिर्फ ल्वहरभाशे ही पूरे लाहौल  में बोली जाती है। इसके समझने/बोलने वाले गौंधला घाटी के सिस्सू, स्तोद के जिस्पा तथा पट्टन के मड़ग्रां में मिल जायेँगे। यद्यपि यह भाषा/बोली सबसे कम लोगों द्वारा समझी/बोली जाती है।

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12 लाहौल (Lahaul Spiti ) की संस्कृति के नाम से अभी तक जो कुछ मार्केट में आया उसका बड़ा हिस्सा चिनलभाशे में है।