हिमाचल प्रदेश के ज़िला लाहौल-स्पिती (Lahaul Spiti) में बोली जाने वाली बोली ‘चिनलभाशे’ में पालतू जानवरों (पशु/पक्षी) से संबन्धित प्रयुक्त (सम्बोधन) शब्द:
प्रजाति बुलाने के लिए प्रयुक्त शब्द भागने/दूर करने के लिए प्रयुक्त शब्द
बकरि (बकरी) किचि-2
उरनु (भेड़, मेमना) किरि-2
पशरु (भेड़) हो—अ
बछरू (गाय, बछड़ा) बूछ-2
गा (गाय) भोवो
कुतुर (कुत्ता) चो: –2
बिरा (बिल्ला) पीश-2 पिश
घोअ (घोड़ा) शो: -2
कर: (गधा) शो: -2
कुक्कुड़ (मुर्गा) कुर्ह-2
विशेष: 1. ये शब्द मेरी प्रकाशनाधीन पुस्तक ‘लाहौल-स्पिती एक अबूझ ठार’, खंड-1
2. पशरू: पशरु में उनाड़ा और छगुड़ (भेड़ और बकरा, बकरी), उरनु (मेमना), छेल्ड़ु (बकरी का बच्चा) सब।
3. छगुड़: छगुड़ में बकरि (बकरी), ठब्टा (बकरा प्रजनन क्षमता वाला), बकर: (बकरा प्रजनन क्षमता रहित), छेल्ड़ु (दोनों लिंग)।
4. उनाड़ा: उनाड़ा में भेड् (मादा भेड़), हुड़ (नर भेड़ प्रजनन क्षमता वाला), डाङ्: (नर भेड़ प्रजनन क्षमता रहित), उरनु (दोनों लिंग)।
5. छेल्ड़ु: छेल्ड़ु में पट्ठी (मादा), रिहचडु (नर)।
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6. गोरु: गोरु में गौवंश और याक प्रजाति। जिनमें गा (गाय), बङ्ग्ड्र: (सांड), चोंर (याक), चुरु (गाय+याक की संकर), बधेल (गाय+याक का संकर), गरु (चूरु+याक का संकर), गरि (चूरु+याक की संकर)।
7. तोलमो (चुरू+बेल की संकर), तोलफ़ो (चुरू+बेल का संकर)।
8. कुतुर (कुत्ता), कुतरि (कुतिया), कुतोलु (पिल्ला)।
9. बिरा (बिल्ला), बिराइ (बिल्ली), बिराउ (बिल्ली का बच्चा)