‘COVID-19’ को जातिवाद की तरह ‘सामाजिक वाइरस’ न बनायें do-not-make-covid-19-as-social-virus-like-casteism

वैसे तो पूरे विश्व में कोरोना (Corona) ने आतंक मचा रखा है, अपने ही देश में इसके 1 लाख से अधिक मरीज दर्ज किए जा चुके हैं और पता चला है कि हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में भी कोरोना के सौ से अधिक मामले दर्ज किए गये हैं। ‘COVID-19’ को जातिवाद की तरह ‘सामाजिक वाइरस’ न बनायें इस लेख में पढ़ें।

मेरे कुल्लू (Corona Positive In Kullu) में भी एक ‘कोरोना पॉज़िटिव’ केस दर्ज किया गया है। यह विषय मेरे लिए कष्टकारी और अफसोस जनक तो अवश्य है लेकिन मायूस होने का नहीं। यद्यपि यह तो जगजाहिर हो चुका है कि देश और प्रदेश को इस हालात तक पहुंचाने के लिए जिम्मेदार है, तानाशाही फैसले लेने की गलत प्रवृतियां।

‘COVID-19’ को जातिवाद की तरह ‘सामाजिक वाइरस’ न बनायें – कुछ सुझाव

1. डरने, घबराने, और चिन्तित होने की जरूरत नहीं है।

2. न अफवाहों में आयें और न अफवाह फैलायेँ। कोरोना (Corona) एक बीमारी से ज्यादा कुछ भी नहीं है।

3. यह ठीक है कि अभी तक इसका इलाज नहीं खोजा जा सका है। लेकिन इससे बचने का तरीके हैं, इससे बचाव।

4. कुछ सावधानियां तथा जीने के तरीके में कुछ साधारण से बदलाव और यह आप से दूर रहेगा।

5. सामाजिक और शारीरिक दूरी, आम साबुन से हाथ आदि धोना तथा मुंह व नाक पर मास्क पहनना।

6. समाज के कुछ विशेष वर्गों, जैसे वरिष्ठ नागरिकों (बूढ़े), बच्चों, गर्भवती महिलाओं, तथा कुछ तरह के क्रोनिक व लंबी बीमारियों के मरीज़ों को थोड़ी अतिरिक्त सावधानियां बरतने की आवश्यकता है।

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7. उन्हें (विशेष वर्ग) बहुत ही जरूरी होने पर ही घर से बाहर जाना चाहिए।

8. याद रखें यह हालात भी बहुत लंबे नहीं रहेंगे। कुछ ही दिनों की बात है हालात फिर सामान्य हो जाएंगे।

9. एक और खास बात ध्यान रखें कोरोना (COVID-19) पीड़ित मरीज हैं, अपराधी नहीं।

10. उनसे (कोरोना पीड़ितों) नफरत नहीं, सहानुभूति व प्यार करें।

11. कोरोना पीड़ित ठीक हो जाते हैं, उनसे सामाजिक दूरी न बरतें।

12. हां! आधिकारिक निर्देशों के अनुसार शारीरिक दूरी अवश्य रखें, एकांत, संगरोध (क्वारंटीन) आदि।

13. ‘कोविड-19’ एक ‘जैविक वाइरस’ है, इसे ‘जैविक वाइरस’ ही रहने दें, जातिवाद की तरह ‘सामाजिक वाइरस’ न बनायें।