नीतीश कुमार ने लालू यादव के साथ अपना राजनीतिक रिश्ता जिस ख्वाब को देख कर तोडा था उस ख्वाब के भी टूटने के आसार नज़र आ रहे हैं। मोदी लहर का विजय रथ रोकने के लिए बना महागठबंधन एक पल में गिर चुका है और इसकी वजह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं। अब नीतीश ने दोबारा राज्य के सीएम पद पर शपथ ले ली हो, लेकिन उनकी मुश्किलें बढ़ सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि नीतीश के एनडीए का दामन थामने के बाद जेडीयू में कई बड़े नेता समेत उसके विधायक भी नाराज दिख रहे हैं।

पार्टी के दिग्गज नेता शरद यादव और सांसद अनी अनवर भी इस बड़े कदम पर इशारों में नाराजगी जता चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक पार्टी के करीब 16 ऐसे विधायक हैं, जो नीतीश के विरोध में जा सकते हैं, जिसमें से 11 यादव और 5 मुस्लिम विधायक हैं। अगर ये विधायक बागी हो जाते हैं, तो ये जेडीयू-एनडीए गठबंधन के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है।क्योंकि, बिहार में कुल 243 विधानसभा सीटें हैं। बहुमत के लिए 122 विधायकों का समर्थन जरूरी है।

हालांकि, नीतीश (71) और बीजेपी (53) विधायकों को मिला दिया जाए तो इस आकंड़े से दो सीटें अधिक हैं, लेकिन बीजेपी से गठबंधन के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि जेडीयू के यादव और मुस्लिम विधायक नीतीश सरकार के खिलाफ फ्लोर टेस्ट में विरोध कर सकते हैं। ऐसा इसलिए माना जा रहा है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद यादव और सांसद अली अनवर के बागी तेवर खुले तौर पर दिखने लगे हैं।

वहीं विधानसभा में लालू के 80 विधायक हैं और कांग्रेस के पास 27 विधायक है, जबकि अन्य 05 हैं। अगर जेडीयू के बागी विधायकों के साथ छोड़ने के बाद इन 5 को नीतीश अपनी ओर लाते हैं, तब भी ये बहुमत के लिए काफी नहीं होगा।

बता दें कि लालू के बेटे तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के चलते उन पर इस्तीफे का दबाव बनाया जा रहा था। इस बीच नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़ कर बीजेपी का हाथ पकड़ लिया। उनके इस फैसले पर कांग्रेस और आरजेडी दोनों में खासी नाराजगी देखी जा रही है।

अब अगर आंकड़ों को देखा जाये और अगर 28 जुलाई को होने वाले फ्लोर टेस्ट में नितीश अपने बहुमत को साबित नहीं कर पाए तो आरजेडी के पास मौका है अपनी सरकार को बनाने का। अगर आरजेडी सरकार बनाती है तो इस सूरत में जिस नाम की वजह से मामला बिगड़ा वही मुख्यमंत्री हो सकते हैं, यानी कि तेजस्वी यादव।

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