Scania Scam: जानिए क्या है ये मामला और किस मंत्री पर है इल्जाम

भारत की राजनीती में आने वाले कुछ दिनों में उथल पुथल होने के आसार नज़र आ रहे हैं…. क्यूंकि एक स्कैम का मामला निकल कर आ रहा है… सीधा स्वीडन से

जी हाँ , स्वीडन की बस और ट्रक बनाने वाली एक कंपनी स्कैनिया (Scania) ने अपने कर्मचारियों और भारत के एडमिनिस्ट्रेशन में बैठे कुछ लोगों के नाम एक स्कैम (Scam) में उजागर किये हैं …. बड़ी बात ये है की इन नामों में एक नाम यहाँ के एक केंद्रीय मंत्री का भी है

अब जबकि यहां पर पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं जिनकी तारीखें भी घोषित हो चुकी हैं…. और राजनीतिक पार्टिया अपना पूरा दम लगा रही हैं कि किस तरह इन राज्यों में अपनी सरकार बचाई जाये या फिर बनायी जाये …. तो इस Scam मामले में देश के कैबिनेट मिनिस्टर का नाम सामने आने से राजनितिक तौर पर बहुत हो हल्ला तो जरूर होने वाला है .. अब जैसे जैसे मामला खुलेगा इन्वेस्टीगेशन होगी तो समझ आएगा कि इस मामले में कुछ ठोस है भी या ये बस हवा-हवा की न्यूज़ थी… इस पुरे मामले में जिन मिनिस्टर महोदय का नाम सामने आ रहा है वो हम आपको आगे बताएँगे …. पहले समझ लेते हैं की स्वीडेन की ये कंपनी का स्कैम मामला है क्या

दरअसल मामला खुल कर सामने तब आया जब कंपनी ने (Scania) अपनी इंटरनल इन्वेस्टिगेशन में पाया… की भारत के साथ हुई डील में कुछ गड़बड़ियां हैं … कंपनी के एम्प्लाइज इसमें शामिल पाए जाने का पता चला जिसमें सीनियर मैनेजर तक शामिल थे हालाँकि कंपनी के अनुसार उस वक़्त के ये सब लोग अब कंपनी में नहीं हैं

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तीन मीडिया हाउसेस की Collaboration में तैयार इस न्यूज़ रिपोर्ट ने बताया की स्कैनिया ने 2013 से 2016 तक बस के कॉन्ट्रैक्ट्स पाने के लिए भारत में रिश्वत दी थी … स्वीडिश न्यूज़ चैनल SVT, जर्मन ब्रॉडकास्टर ZDF और भारत की Confluence मीडिया इन सब ने मिलकर ये रिपोर्ट तैयार की है

इस रिपोर्ट में कंपनी ने खुलासा किया है कि भारत में सात राज्यों में कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए साल 2013 से 2016 के बीच रिश्वत दी गयी थी… कंपनी के मुताबिक इस मिसकंडक्ट पर 2017 में ही इन्वेस्टीगेशन शुरू हो गयी थी जिसकी रिपोर्ट अब जारी की गयी है … फॉक्सवेगन एजीज की ट्रक एवं बस का निर्माण करने वाली इकाई स्कैनिया ने 2007 में भारत में काम करना शुरू किया था और 2011 में निर्माण इकाई की स्थापना हुई।

रिपोर्ट में दावा किया गया कि स्कैनिया ने चेसिस नंबर और लाइसेंस प्लेट बदलकर ट्रकों के मॉडल नंबर में हेरफेर किया। इन ट्रकों को भारतीय खनन कंपनियों को बेचा और 1.18 करोड़ डॉलर का मोटा मुनाफा कमाया।

स्कैनिया के प्रवक्ता ने बताया कि इसके बाद स्कैनिया ने भारतीय बाजार में बसों की बिक्री पर ही रोक लगा दी थी। प्रवक्ता के मुताबिक इन गड़बड़ियों में कथित रूप से रिश्वतखोरी, बिज़नेस पार्टनर्स के माध्यम से रिश्वतखोरी और गलत बयानी शामिल है,

स्कैनिया के सीईओ हेनरिक हेनरिक्सन ने कहा, इससे कुछ नुकसान जरूर हुआ लेकिन हमने वहां अपनी इकाई को बंद कर दिया। उन्होंने कहा, भारत में जो भी लोग रिश्वतखोरी में शामिल थे उन्हें कंपनी से निकाल दिया गया और हमारे बिजनेस पाटर्नर्स के करार भी रद्द कर दिए गए।

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SVT के एलिगेशन के मुताबिक स्केनिया ने स्पेशल्ली इक्विपपड़ बस को एक कंपनी को दिया था जिसके कनेक्शन केंद्र के मंत्री नितिन गडकरी के साथ थे और यही बस गडकरी की बेटी की शादी में भी इस्तेमाल की गयी थी

इन सब आरोपों के बीच गडकरी के ऑफिस ने एक बयान जारी करके कहा है कि गडकरी और उनके परिवार के सदस्यों का बस की खरीद या बिक्री से कोई लेना-देना नहीं है, इसके साथ ही ये भी कहा गया है कि चूँकि स्कैनिया बस का पूरा प्रकरण स्वीडिश कंपनी का आंतरिक मामला है, इसलिए मीडिया को स्कैनिया इंडिया के आधिकारिक बयान का इंतजार करना चाहिए

अब इस पूरे प्रकरण में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात है इस खबर को लेकर भारत के मैन स्ट्रीम मीडिया की चुप्पी

कुछ गिने चुने अख़बारों ने खबर को ऑनलाइन पब्लिश किया है जिसमे से कुछ ने इसे नितिन गडकरी की सफाई से हाईलाइट करके बनाया है तो कुछ ने नाम तक नहीं बताया है अब आप किसी और खबर को कोट कर रहे हैं तो एटलीस्ट खबर तो पूरी कोट होनी चाहिए। .. बहरहाल कुछ मीडिया हाउसेस ने तो इस मामले को वर्ल्ड न्यूज़ के नाम से पब्लिश करके अपने मीडिया धरम को निपटा देने की कोशिश भी की है

पुरे दिन मीडिया ने इस खबर से दुरी बना कर रखी हालाँकि शाम होते होते तक ये खबर ट्विटर पर ट्रेंड जरूर कर गयी इस खबर को सामने लाने का काम किया वरिष्ठ पत्रकार और समाज सेवी दिलीप मंडल ने। . वे पूरा दिन इस स्कैम मामले में देश और दुनिया में छप्प रही ख़बरों को ट्वीट करते रहे जिसके बाद ऑपोसिशन के कुछ नेता इस मामले पर बोलने लगे हालाँकि बड़े विपक्ष के नेता अभी इस पर कोई सवाल पूछते दिख नहीं रहे हैं और जब विपक्ष ही सोया पड़ा हो तो सरकार को जवाब देने की जरुरत ही क्या है

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कांग्रेस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के जरूर अपनी प्रजेंस दिखने की कोशिश की है लेकिन सरकार से ये सवाल असल माइनो में कितना सशक्त है ये तो आने वाले वक़्त में पता चलेगा और ये भी की इस पुरे प्रकरण में क्या क्या और किस किस सत्तर पर गड़बड़ियां हुई हैं और देखने वाली बात ये भी होगी की अगर इस मामले में सत्ता में बैठा कोई दोषी पाया जाता है तो क्या प्रधानमंत्री न खाऊंगा न खाने दूंगा वाली बात पर कायम रह कर दोषी को दंड देंगे