कोरोना वाइरस संक्रमण ( Corona Virus)- प्रथम विश्वयुद्ध के बाद (1918-20) भी दुनिया में H1N1 वाइरस का संक्रमण हुआ और जिसने एक महामारी का रूप लिया था, जिसे तब ‘स्पेनिश फीवर’ (Spanish Fever) के नाम से जाना गया। जिससे दुनिया के 50 करोड़ लोग प्रभावित हुए थे और 10 करोड़ के करीब मारे गए थे। वह महामारी लाहौल-स्पिती तक भी फेल गई थी। उस महामारी ने कुल्लू, लाहौल और स्पिती में भी व्यापक जानी नुकसान किया था। इसे अपने यहां ‘जंगी बुखार’ यानि लड़ाई का बुखार का नाम दिया गया था।
क्योंकि यह वाइरस ठंडी जलवायु में उत्पन्न, पलता, बढ़ता और फैलता था इसलिए बताया गया कि लाहौल-स्पिती जैसे कम जनसंख्या वाले क्षेत्र में भी काफी जाने ली थीं। उस संक्रमण (Spanish Flu) की भयानकता का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि उसने कुल्लू उपमंडल, जिसमें कुल्लू, लाहौल व स्पिती शामिल थे में 2000 से अधिक लोगों की जानें ली थीं।
आज की तारीख में भी, वैसे तो चीन समेत दुनिया के बहुत से देशों में इसका फेलना रुक चुका है। इस संक्रमण से ग्रस्त बहुत से मरीजों का उपचार भी हो चुका है, इसलिए इससे डरने की कोई बात नहीं है।
फिर भी, क्योंकि लाहौल-स्पिती का तापमान शून्य डिग्री से नीचे जा रहा है, स्वास्थ्य सुविधाएं भी न के बराबर हैं, रोहतांग सुरंग बंद है, हेलीकाप्टर सेवा अनिश्चित, अनियमित तथा अपर्याप्त है। यातायात और संचार व्यवस्था को भी चुस्त दुरुस्त किया जाये। इस लिए सरकार का दायित्व बनता है कि समय रहते सुरक्षाओं व सुविधाओं का उचित, पर्याप्त और सुलभ व्यवस्था करे।
लाहौल-स्पिती के लोगों को भी सलाह है अफवाहों पर ध्यान न दें और हड़बड़ी न करें।