आईजी समेत आठ पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार किया गया। सुर्खियों की खबर थी। हिमाचल प्रदेश जो ‘देव भूमि’ के रूप में जाना जाता है और जो दुनियां भर में बहुत शांत, सुंदर, सुहावना-लुभावना और पर्यटन प्रदेश के तौर पर विख्यात हैं। जिसकी कुल जनसंख्या 70 लाख के करीब है और सरकारी कर्मचारियों की संख्या है लगभग 2 लाख। उस प्रदेश से ऐसे प्रकरण का समाचार है जिसमें एक नाबालिग लड़की, जिसे ‘गुड़िया’ नाम दिया गया है, से गैंगरेप और फिर कत्ल। बताया जाता है कि लड़की शाम को स्कूल से अपने घर जा रही थी। घर जो कि स्कूल से कुछ किलोमीटर की दूरी पर था और रास्ता जंगल के बीच में से होकर जाता है। रास्ते में उसे उसके जानकार मिल जाते हैं और उसे लिफ्ट देने के लिए अपनी गाड़ी में बिठा लेते हैं। लेकिन लड़की घर नहीं पहुंचती और दो दिनों के बाद उसकी क्षत विक्षित लाश जंगल में पाई जाती है।

पुलिस की कार्यवाही होती है, लाश कब्जे में कर ली जाती है। पता चलता है कि उसके साथ कई लोगों ने बलात्कार किया था और बाद में बेरहमी से मार कर लाश को जंगल में फैक दिया गया था।  फिर बलात्कारियों के साथ-2 उस लाश के फोटो तक सोशल मीडिया में डाल दिये जाते है और वह भी बड़े जिम्मेदार व्यक्ति के अकांऊंट से। हाय तौबा होने पर सोशल मीडिया से सब डिलिट कर लिया जाता है।

अब तक मामला तुल पकड़ चुका होता है और ‘गुड़िया न्याय मंच’ के नाम से एक बड़ा मंच गठित किया जाता है जिसमें मुख्य किरदार वामपंथी निभाते हैं। उसके अतिरिक्त प्रदेश की एक मात्र विपक्षी राजनैतिक पार्टी भाजपा भी इस विषय पर कूदती है और सरकार को एसआईटी का गठन करना पड़ता है। एसआईटी का मुख्य आई जी रैंक के एक आईपीएस अधिकारी को बनाया जाता है। लेकिन उसी दौरान अपराधियों में से एक की मौत पुलिस हिरासत में हो जाती है। उस मौत को दबाने का पूरा प्रयास होता है। लोगों में फैलाया जाता है कि उसे सह अभियुक्त ने मार दिया था। लेकिन इस पूरे मामले में कई मोड हैं। पहला तो यह कि स्थानीय लोगों का मानना है कि असल अभियुक्त पहुंच वाले हैं और अभी तक पकड़े नहीं गए है उनकी जगह छोटे और मजदूर लोगों को पुलिस ने पकड़ा है। दूसरा यह कि अभियुक्त की पुलिस हिरासत में मौत हुई उसे सह अभियुक्त ने नहीं मारा था अपितु पुलिस पूछताछ के दौरान मौत हुई थी।

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लोगों का दबाब पड़ने पर मामला सीबीआई के हाथ में दिया गया और सीबीआई हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश पर कार्य करते हुए जांच कार्य में तेजी लाने के उदेश्य से आईजी समेत एसआईटी के सभी पुलिस वालों को गिरफ्तार किया और रिमांड पर लेकर अपने साथ दिल्ली ले गई। अब  एक बार फिर तीन दिन का रिमांड लिया है। उसके बाद भी पता चला कि सीबीआई ने राज्य के कई अन्य बड़े पुलिस अफसरों को दिल्ली बुलाया तथा पूछताछ की।

यह समाचार महत्वपूर्ण इसलिए है कि हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों और जनता का अनुपात 1:35 का है यानि कि यहां हर 35 व्यक्तियों पर एक सरकारी कर्मचारी है। यह बात मैं पहले भी लिख चुका हूं। इसलिए यह देखना बहुत आवश्यक है कि प्रदेश के वितीय साधनों पर कर्मचारियों के वेतन भत्तों के इतने दबाब और काम के लिहाज से शेष राज्यों की तुलना में कम दबाब के बावजूद भी ऐसी लापरवाही और गलतियां क्यों होती हैं। देखा जाये तो पूरे प्रदेश की जनसंख्या उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के एक ज़िले के बराबर है तो भी इस प्रकार के अनुचित और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार वह भी इतने ऊंचे स्तर के अधिकारियों के द्वारा ऐसा न तो उचित है और न ही सही।