देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। अटल बिहारी वाजपेयी ने एम्स दिल्ली में आखिरी सांस ली। बीते एक महीने से अटल बिहारी को यूटीआई इंफेक्शन, लोवर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन और किडनी संबंधी बीमारियों के कारण एम्स दिल्ली में भर्ती कराया गया था। उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी।
सुबह से ही अटल बिहारी वाजपेयी की सेहत की जानकारी लेने के लिए नेताओं का एम्स में आना जाना लगा हुआ था। गुरुवार दोपहर एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अटल बिहारी वाजपेयी से मिलने एम्स पहुंचे। उनके अलावा, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, अमर सिंह, अरविंद केजरीवाल सहित कई विपक्षीय नेता भी उनसे मिलने पहुंचे थे।
अटल बिहारी का जन्म ग्वालियर में हुआ
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 25 दिसम्बर 1924 को हुआ था। उनके पिता कृष्ण बिहारी बाजपेयी शिक्षक थे।उनकी माता कृष्णा थीं। वैसे मूलतौर पर उनका संबंध उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के बटेश्वर गांव से है लेकिन पिता मध्य प्रदेश में शिक्षक थे। इसलिए उनका जन्म वहीं हुआ। हालांकि उनका लगाव उत्तर प्रदेश की राजनीतिक से सबसे अधिक रहा। लखनऊ से वो सांसद रहे थे।
वह भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे और बाद में उन्हाेंने अप्रैल 1980 में भाजपा की स्थापना की। उन्हाेंने पहला लोकसभा चुनाव 1955 में लड़ा था लेकिन वह पराजित हुए थे और 1957 में उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में उन्हें जीत हासिल हुई। वर्ष 1957 से 1977 तक वह बीस वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। आपातकाल के बाद बनी मोरारजी देसाई की सरकार में सन् 1977 से 1979 तक विदेश मन्त्री रहे। वर्ष1980 में उन्होंने असन्तुष्ट होकर जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की।
वाजपेयी सरकार ने 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके भारत को परमाणु शस्त्र संपन्न देश घोषित कर दिया। इस कदम से उन्होंने भारत को निर्विवाद रूप से विश्व मानचित्र पर एक सशक्त वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया।
वाजपेयी ऐसे पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमन्त्री हुए जिन्होंने पांच साल तक बिना किसी समस्या के राज किया। उन्होंने 24 दलों को मिला कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ;राजगद्ध बनाकर सरकार बनाई थी जिसमें 81 मन्त्री थे। कभी किसी दल ने आनाकानी नहीं की। इससे उनकी नेतृत्व क्षमता का पता चलता है।