प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ज्ञानेश कुमार को भारत का नया मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) नियुक्त किया गया है। वह निवर्तमान सीईसी राजीव कुमार का स्थान लेंगे, जो आज सेवानिवृत्त हो रहे हैं। हालांकि, इस नियुक्ति पर विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस, ने आपत्ति जताई है।
विपक्ष की आपत्ति:
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए सरकार से आग्रह किया था कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिकाओं पर निर्णय आने तक सीईसी की नियुक्ति को स्थगित रखा जाए। कांग्रेस महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ने भी सरकार पर आरोप लगाया कि यह नियुक्ति जल्दबाजी में की गई है ताकि सुप्रीम कोर्ट की जांच से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि यह संविधान की भावना के विपरीत है, जो निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया की मांग करती है।
नए कानून के तहत पहली नियुक्ति:
यह नियुक्ति हाल ही में संशोधित कानून के तहत की गई है, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त की चयन समिति से मुख्य न्यायाधीश को हटाकर गृह मंत्री को शामिल किया गया है। इस बदलाव के कारण विपक्ष ने नियुक्ति प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं।
ज्ञानेश कुमार का परिचय:
ज्ञानेश कुमार 1988 बैच के केरल कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने अपने करियर में गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और सहकारिता मंत्रालय में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। विशेष रूप से, उन्होंने गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के रूप में कार्य करते हुए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
भविष्य की चुनौतियाँ:
मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में, ज्ञानेश कुमार के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण चुनाव होंगे, जिनमें आगामी लोकसभा चुनाव और विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव शामिल हैं। उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर बहस जारी है।
नए चुनाव आयुक्त की नियुक्ति:
इसके साथ ही, हरियाणा के मुख्य सचिव और 1989 बैच के आईएएस अधिकारी डॉ. विवेक जोशी को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया है। वह चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू के साथ आयोग में अपनी सेवाएँ देंगे।
निष्कर्ष:
विपक्ष के विरोध और सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिकाओं के बीच की गई इस नियुक्ति ने राजनीतिक हलकों में बहस को जन्म दिया है। आगामी दिनों में, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह नियुक्ति चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर किस प्रकार प्रभाव डालती है।