जीवनदायिनी
‘ब्यास’ का
इतना रौद्ररूप
पहले न देखा था
पहाड़, जंगल, मिट्टी
प्राकृतिक क्या, मानवनिर्मित क्या
सब
अपने साथ
बहाये ले जा रही थी।
न, न यह
मानव और प्रकृति की
जंग नहीं थी
यह तो
प्रकृति की
चुनौती थी
मनुष्य को
जिसे मानव ने
सदैव स्वीकारा है
और जीत
मानव की ही
सुनिश्चित रही है।
यह न आपदा है
न दम्भ
न क्रोध है
न ही प्रतिशोध
यह तो
प्रकृति और मानव के बीच
निरन्तर चलने वाला
एक मैच मात्र है।

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