Kisan Parade: My desire to see the parade of 26 January will be fulfilled this time !!

लगता है इस बार 26 जनवरी की गणतन्त्र/संविधान दिवस की परेड देखने की मेरी मनोकामना पूर्ण हो जाएगी। इस साल देश के किसान, देश की राजधानी दिल्ली में ट्रेक्टर परेड (Kisan Parade) कर इस राष्ट्रीय पर्व को मनायेंगे। ये शोषित व सताये आंदोलनरत किसान पिछले दो महीनों से दिल्ली के बार्डरों पर, दिल्ली में प्रवेश की प्रतीक्षा में डेरा डाले पड़े हुए हैं। इस बीच उनके आंदोलन को तोड़ने और दिल्ली प्रवेश को रोकने के, राज्य सरकारें और केंद्र सरकार हर संभव प्रयास कर चुकी हैं। इस दौरान किसान आंदोलन को बदनाम करने की बहुत कोशिश की गई। इस आंदोलन को खालिस्तानी, माओवादी, अलगाववादी और कई अन्य नाम दिये गए। लेकिन किसान हर मुश्किल को पार कर आज भी यहां डटे हुए हैं और वे चाहते थे बाहरी रिंग रोड पर गणतन्त्र दिवस के अवसर पर ट्रेक्टर परेड (Kisan Parade) कर समारोह को मनायें। लेकिन दिल्ली पुलिस के साथ समझौते में अन्य रूट मंजूर करना पड़ा। 26 जनवरी की परेड विश्व प्रसिद्ध है और प्रति वर्ष इसका आयोजन किया जाता है, जिसका मुख्य अतिथि विश्व के किसी देश का राष्ट्राध्यक्ष होता है। यद्यपि इस साल कई कारणों के चलते ऐसा नहीं हो सकेगा। न सिर्फ देश के दूर-2 क्षेत्रों से अपितु विदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग इस परेड को देखने दिल्ली पहुंचते हैं।

मैं भी 1977 से 12 साल तक दिल्ली में रहा। पहले भारतीय रिज़र्व बैंक में फिर भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में। उस दौरान मुझे सरकार की ओर से फ्री पास मिलते थे, उसके अतिरिक्त भी खरीद करके अपने मेहमानों, रिशतेदारों, दोस्तों आदि को परेड दिखाई। हां! उन्हें परेड स्थल बोट क्लब तक ले जाने के लिए साथी की व्यवस्था कर देता था। लेकिन स्वयं कभी नहीं देखी, टीवी तक में भी नहीं। एक संकल्प कर रखा था, जिस दिन मेरे देखने योग्य 26 जनवरी आयेगी उस दिन अवश्य परेड को देखूंगा और वह दिन होगा, जिस दिन देश के गरीब का चुल्हा नहीं बुझेगा। क्योंकि मेरा मानना है कि देशवासियों को स्वतन्त्रता मिली और देश के नेताओं ने देश को एक लोकतान्त्रिक व्यवस्था और एक संविधान दिया। जिसके अन्तर्गत देश के समस्त नागरिकों को एक समान अधिकार प्रदान किए गए। परन्तु संवैधानिक प्रावधानों के कार्यान्वयन के मामले में हम पिछड़ते चले गए। आज तो हालात चिंताजनक हो चुके हैं।

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पिछले कुछ सालों से देश में संविधान और संवैधानिक प्रावधानों, संस्थानों तथा मूल्यों का सीमा रहित हानि की गई है। अल्पसंख्यक, दलित, आदिवासी, हाशिये के लोग, किसान, मज़दूर और गरीबों के अधिक से अधिक अधिकार छीने गये। ऐसे हर मौके का फ़ायदा उठाया गया जिस से अडानी-अंबानियों के हित सधें। यहां तक कि हाल के कोरोना काल में तो कोरोना महामारी की आड़ में आपदा को अवसर में बदलते हुये तमाम श्रम कानून कारपोरेट के हित में बदल दिये गए। लगे हाथों कृषि क़ानूनों को भी कारपोरेट के हित में बदला गया, जिस का देश के किसानों ने पुरजोर विरोध किया। उसी विरोध के फलस्वरूप देश में एक शक्तिशाली किसान आंदोलन ने जन्म लिया। उसी आंदोलन के चलते देश के किसान 2 महीने से दिल्ली के बार्डर पर बैठे हुए हैं।

इस दौरान आंदोलन ने तय किया कि वे 26 जनवरी, गणतन्त्र दिवस के अवसर पर ट्रेक्टर मार्च (Kisan Parade) निकालेंगे और एक गैर सरकारी और अनौपचारिक गणतन्त्र समारोह का आयोजन करेंगे और दिल्ली के बाहरी रिंग रोड़ पर ट्रेक्टर परेड (Kisan Parade) करेंगे। यदि यह कार्यक्रम सफल हुआ तो मेरा संकल्प पूरा होगा और मैं 26 जनवरी की गणतन्त्र व संविधान दिवस की परेड (Kisan Parade) देख पाऊंगा।